आशीष महर्षि

बीस साल बाद भले ही डॉक्टर खलील चिश्ती खुली हवा में सांस ले रहे हों लेकिन उन्हें अभी भी सरकार की दया की दरकार है। उम्र के ८क् बरस गुजार चुके डॉ. खलील अब अपने वतन लौटना चाहते हैं। खलील साहब की जमानत भले ही हो गई हो लेकिन उन्हें और उनके परिवार को इंतजार है संपूर्ण रिहाई का।
खलील चिश्ती ने अपनी आजादी के लिए न्यायपालिका से लेकर राजस्थान के राज्यपाल और देश के प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक से खुद के लिए दया मांग चुके हैं। न्यायपालिका का दिल पसीजा लेकिन थोड़ा सा। सुप्रीम कोर्ट ने मानवता के आधार पर बीस सालों से जेल में सड़ रहे डॉ. खलील को जमानत दे दी। लेकिन अजमेर ना छोड़ने की सशर्त के साथ। लेकिन आज तक राजस्थान के राज्यपाल का दिल नहीं पसीजा। केंद्र सरकार और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लाख निवेदन के बावजूद आज तक राजस्थान के राज्यपाल शिवराज पाटिल ने डॉक्टर खलील चिश्ती की दया याचिका पर हस्ताक्षर नहीं किए।
फिल्मकार महेश भट्ट सरकार से सवाल पूछते हुए कहते हैं कि क्या भारत एक जीवित खलील चिश्ती को भेजेगा या उनके पार्थिक शरीर को, जब भी उनका इंतकाल हो? भट्ट कहते हैं कि भारत गौतम, महावरी, सूफी-संतों, गांधी का देश है। इसलिए डॉ. खलील चिश्ती को क्षमा करने में संकोच नहीं करना चाहिए।
खैर इन सबके बीच, खलील साहब खुश हैं। उनका परिवार खुश है। पाकिस्तान से लेकर हिंदुस्तान तक के वो लोग भी खुश हैं, जो उन्हें लिए लड़ रहे हैं। इसमें मानवाधिकार संगठनों से लेकर पत्रकार तक शामिल हैं। खलील साहब की कहानी को यदि फाइलों में पढ़ेंगे तो इस बात का अंदाजा लग जाएगा कि हिंदुस्तान में एक पाकिस्तानी होना का क्या मतलब है। आपसी लड़ाई में खलील चिश्ती के हाथों के मर्डर हो जाता है। बरसों या कहें कि पूरे १९ साल तक केस चलता और फिर वर्ष २क्१क् में अजमेर कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस सजा के खिलाफ डॉक्टर चिश्ती ने राजस्थान हाईकोर्ट में अपील की लेकिन वहां उनकी जमानत रद्द कर दी गई। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। नतीजा सबके सामने हैं। इन सबके बीच सबसे अधिक असंवेदनशील कोई दिखा तो वह राजस्थान के राज्यपाल शिवराज सिंह पाटिल। पाटिल के पास आज भी खलील चिश्ती की दया याचिका पड़ी हुई है, लेकिन वो इस पर साइन करने को तैयार नहीं है।
(लेखक दैनिक भास्कर डॉट कॉम से जुड़े हुए हैं।.)
From Kafila archives:
- April 14, 2012: India must reciprocate Pakistan by sending back Dr. Chishty and Pakistani fishermen
- April 10, 2012: On the Supreme Court granting bail to Dr Khaleel Chishty: PUCL statement
- January 6, 2012: The inter-connected destinies of strangers across an international border
- December 9, 2011: Shivraj Patil hath no mercy! Why could he not pardon an old, ailing Ram Kumar?: PUCL
- November 28, 2011: A case for remission of punishment for Dr Khaleel Chishty under Article 161 of the Constitution of India: Kavita Srivastava
- November 19, 2011: Dr Khaleel Chishty’s family in Ajmer to appeal for his release: Kavita Srivastava
- October 10, 2011: Gopal Das is free, Khaleel Chishty is not
- September 7, 2011: Bring Dr Chishty home – alive
- June 19, 2011: Dr Khaleel Chishty will finally be free
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