कालियाचक के दौरे के बाद जेजेएसएस की टीम की शुरुआती रिपोर्ट
Guest Post by Jan Jagran Shakti Sangathan (JJSS)
मालदा के कालियाचक में 3 जनवरी को हुई हिंसा, साम्प्रदायिक हिंसा नहीं दिखती है। इसे मुसलमानों का हिन्दुओं पर आक्रमण भी नहीं कहा जा सकता है। यह जुलूस में शामिल होने आए हजारों लोगों में से कुछ सौ अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों का पुलिस प्रशासन पर हमला था। इसकी जद में कुछ हिन्दुओं के घर और दुकान भी आ गए। गोली लगने से एक युवक जख्मी भी हुआ। ये पूरी घटना शर्मनाक और निंदनीय है। ऐसी घटनाओं का फायदा उठाकर दो समुदायों के बीच नफरत और गलतफहमी पैदा की जा सकती है। यह राय मालदा के कालियाचक गई जन जागरण शक्ति संगठन (जेजेएसएस) की पड़ताल टीम की है।
हिन्दू महासभा के कथित नेता कमलेश तिवारी के पैगम्बर हजरत मोहम्मद के बारे में दिए गए विवादास्पद बयान का विरोध देश के कई कोने में हो रहा है। इसी सिलसिले में मालदा के कालियाचक में 3 जनवरी को कई इस्लामी संगठनों ने मिलकर एक विरोध सभा का आयोजन किया। इसी सभा के दौरान कालियाचक में हिंसा हुई। इस हिंसा को मीडिया खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने जिस रूप में पेश किया, वह काफी चिंताजनक दिख रहा है। इस पर जिस तरह की बातें हो रही हैं, वह भी काफी चिंताजनक हैं।
10 दिन बाद भी जब कालियाचक की घटना की व्याख्या साम्प्रदायिक शब्दावली में हो रही थी तब जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) से सम्बद्ध जन जागरण शक्ति संगठन (जेजेएसएस) ने तय किया कि वहां जाकर देखा जाए कि आखिर क्या हुआ है? जेजेएसएस ने तीन लोगों की एक टीम वहां भेजी। इसमें पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता नासिरूद्दीन, जेजेएसएस के आशीष रंजन और शोहनी लाहिरी शामिल थे। मालदा में एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स (एपीडीआर) के जिशनू राय चौधरी ने इस टीम की मदद की। ये टीम 16 जनवरी को मालदा पहुंची और 17 को वापस आई। इन्होंने जो देखा और पाया उसका संक्षेप में शुरुआती ब्योरा यहां पेश किया जा रहा है। टीम ने खासकर उन लोगों से ज्यादा बात की जो नाम से हिन्दू लगते हैं या जो अपने को हिन्दू मानते है।
टीम की शुरुआती संक्षिप्त बिंदुवार राय–
- कालियाचक में हिंसा की शुरुआत कैसे हुई- इस बारे में कई राय या कहानी सुनाई देती है। जुलूस में शामिल लोगों की संख्या के बारे में भी लोगों की अलग-अलग राय है।
- बातचीत में हमें पता चला कि जुलूस में शामिल होने आए लोगों ने थाने पर हमला किया। थाने में आग लगाई। थाने में तोड़फोड़ की। कई दस्तावेज जलाए गए। वहां खड़ी जब्त और पुलिस की गाडि़यों को जलाया गया। हमें एक गाड़ी जली दिखाई दी। थाने में मौजूद सिपाही भी जख्मी हुए। वहां जब्त कई सामान और हथियार भी लूटे जाने की खबर है।
- जब यह टीम थाने पहुंची तो वहां मरम्मत का काम चलता दिखा। रंगाई-पुताई होती दिखी। हालांकि इस टीम ने पुलिस अधिकारियों से बात करने की कोशिश की लेकिन यह मुमकिन नहीं हो पाया। थाने में भी इस घटना के बारे में लोग जल्दी खुलकर बात नहीं करते हैं।
- थाने परिसर में ही एक लड़कियों का नया हॉस्टल दिखा। हालांकि उसमें अभी लड़कियां नहीं है। उसमें किसी तरह की तोड़फोड़ नहीं दिखती है। इसी परिसर में दूसरे विभागों कें कुछ और दफ्तर भी हैं। उनमें भी तोड़फोड़ या आगजनी जैसी चीज नहीं दिखाई देती है।
- थाने के ठीक पीछे एक मोहल्ला है जिसे बालियाडांगा हिन्दू पाड़ा कहा जाता है। इस मोहल्ले का एक रास्ता थाने से होकर भी गुजरता है। इस मोहल्ले की शुरुआत में एक पान गुमटी जली दिखी। चार-पांच दुकानों की होर्डिंग, बोर्ड, टिन शेड टूटे या फटे दिखे। एक मकान के कांच के शीशे टूटे दिखाई दिए। एक दुकानदार का दावा है कि उसकी दुकान का शटर तोड़ने की भी कोशिश हुई। एक चाय दुकानदार का भी कहना है कि उसकी दुकान में रखा दूध गिरा दिया गया।
- यहां एक मोटरसाइकिल जलाए जाने की भी बात सुनने को मिली।
- इसी मोहल्ले में थाने के ठीक पीछे एक मंदिर है। उस मंदिर के बाहर जाली की बैरिकेडिंग टूटी दिखाई दी। पड़ोसियों का कहना है कि इसे उपद्रवियों ने ही तोड़ा है। मंदिर का भवन और मूर्ति पूरी तरह सुरक्षित दिखी।
- इसी तरह थाने के सामने के एक बड़े मकान के कांच के शीशे टूटे दिखाई दिए।
- थाने के बगल में एक लाइब्रेरी है, उसमें भी तोड़फोड़ हुई।
- थाने के अंदर एक बड़ा मंदिर है। हमें उस मंदिर में कुछ भी टूटा या गायब नहीं दिखा। मंदिर में लोहे का ग्रिल है, वह भी पूरी तरह सुरक्षित है। मूर्तियां अपनी जगह पर थीं। हमने पुजारी को काफी तलाशने की कोशिश की पर वह नहीं मिले।
- इस हिंसा के दौरान एक युवक को गोली भी लगी है। वह अस्पताल से अपने घर लौट चुका है। हम उससे मिलने और बात करने उसके घर गए। हालांकि उसने और उसके परिवारीजनों ने बात करने से मना कर दिया।
- इस युवक के अलावा हमें किसी और को गोली लगने या किसी और के जख्मी होने की बात पता नहीं चली।
- हिन्दूपाड़ा लगभग एक किलोमीटर में दोनों ओर बसा है। हालांकि थाने के पीछे हिन्दूपाड़ा में हिंसा के निशान सिर्फ 50 मीटर के दायरे में ही कुछ जगहों पर दिखते हैं। हम एक छोर से दूसरी छोर तक गए। लोगों से बात की। इस 50 मीटर के दायरे के बाहर किसी ने अपने यहां पथराव, तोड़फोड़ की बात नहीं बताई।
- हालांकि कुछ लोगों ने यह जरूर बताया कि जुलूस में शामिल कुछ लोग आपत्तिजनक नारे लगा रहे थे।
- हमने कई हिन्दू महिलाओं से भी बात की। इनमें से किसी ने अपने साथ अभद्रता या गाली गलौज की बात नहीं बताई। हालांकि पूछने पर वे बताती हैं कि ऐसा सुनने में आया है।
- थाने के ठीक सामने के बाजार में ज्यादातर दुकानें हिन्दुओं की हैं। हमने अनेक दुकानदारों से बात की। इनके दुकानों में भी तोड़फोड़ नहीं हुई है।
- हिन्दूपाड़ा के कुछ लोगों का कहना है कि जब थाने में हिंसा हुई और कुछ उपद्रवी मोहल्ले की तरफ आए और मंदिर की तरफ बढ़े तो इधर से भी प्रतिवाद हुआ। इसके बाद मोहल्ले में पथराव या आगजनी हुई।
- यानी, हिंसा का दायरा काफी सीमित था। उसका लक्ष्य थाना ही था।
- हम रथबाड़ी, देशबंधु पाड़ा, कलेक्ट्रेट का इलाका, झलझलिया, स्टेशन सहित मालदा के कई इलाकों में गए। हमने खासकर हिन्दुओं से बात की। मालदा शहर में हमें एक भी ऐसा शख्स नहीं मिला जो इसे साम्प्रदायिक गंडगोल या मुसलमानों का हिन्दुओं पर हमला मानता हो।
- यही हाल कालियाचक का भी दिखा। कालियाचक में भी ज्यादातर लोग इसे अपराधियों की हरकत बताते हैं। सबकी वजहें अलग-अलग हैं। हमें सिर्फ एक शख्स मिले, जिन्होंने बातचीत के दौरान खुलकर कहा कि यह हिन्दुओं पर जानबूझ किया गया हमला था। हिन्दूपाड़ा में कुछ लोग पूछने पर जरूर इसे कुछ कुछ साम्प्रदायिक कह रहे थे। कुछ घटनास्थलों को दिखाने को उत्साहित भी दिख रहे थे।
- मालदा शहर में हिंसा का कोई असर नहीं दिखता है।
- मालदा से कालियाचक के बीच लगभग 28-30 किलोमीटर के सफर में, रास्ते में कई गांव पड़ते हैं। कहीं भी कुछ भी असमान्य नहीं दिखता है। बाजार पूरी तरह खुले दिखे। खूब चहल-पहल दिखी। महिलाएं भी सड़क पर बदस्तूर काम करती दिखाई दीं।
- यही हाल कालियाचक का है। कालियाचक में बाजार ऐसे गुलजार दिेखे, जैसे यहां कभी कुछ हुआ ही न हो। थाने के ठीक सामने के बाजारों की सभी दुकानें खुली थीं। लोगों का हुजूम सड़कों पर था। स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढे़ सभी आते जाते दिखाई दिए। इनमें से कोई थाने की टूटी बाउंड्री को पलट कर या ठहरकर देखता भी नहीं मिला।
- थाने के अंदर भी सबकुछ सामान्य लग रहा था। फरियादी दिख रहे थे। कई महिलाएं या नौजवान अपनी शिकायतें लेकर आए हुए थे। थाना परिसर में ही वेटनरी विभाग का दफ्तर है, उसमें महिलाएं अपनी बकरियों के साथ आती-जाती दिखीं।
- हिन्दू पाड़ा के ठीक सटे मुस्लिम पाड़ा है। हम यहां भी गए। हम उन लोगों से बात करना चाह रहे थे, जो जुलूस में गए हों। हमें कोई ऐसा नौजवान या शख्स नहीं मिला, जो यह कहे कि वह जुलूस में शामिल था। हर नौजवान या अधेड़ हमें यही कहता मिला कि वह जुलूस में नहीं गया था। वह कहीं और था। लोगों की बातें उनके मन के डर को साफ जाहिर कर रही थीं। यह डर उस वक्त खुलकर सामने आ गया जब हमारी साथी ने महिलाओं से बातें कीं।
- इस मुस्लिम पाड़ा से दो लोग गिरफ्तार हुए हैं। हम इनके परिवारीजनों से मिले। दोनों परिवारों का कहना है कि उनके लोग बेकसूर हैं। पुलिस उन्हें गलत तरीके से ले गई है। एक घर में पुलिस के जबरन घुसने और गिरफ्तार करने की भी बात पता चली।
- मुस्लिम पाड़ा के लोगों का कहना है कि पुलिस के पास सीसीटीवी फुटेज है। वह देखें और हमें दिखाएं। अगर हमारे लोग तोड़फोड़ में शामिल हैं तो हम उन्हें गिरफ्तार करवाएंगे। लेकिन हमारे साथ ज्यादती न की जाए।
- हमने वाम मोर्चा, भारत की कम्युनिस्ट पाटीं- मार्क्सवादी (माकपा), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शोधकर्ताओं, पत्रकारों से भी बात की। कमोबेश सबका यह मानना है कि यह साम्प्रदायिक घटना नहीं है। यह मुसलमानों का हिन्दुओं पर हमला नहीं था। भारतीय जनता पार्टी के नेता भी इस घटना को खुलकर साम्प्रदायिक नहीं कहते हैं।
- बातचीत में लोगों का यह भी कहना है कि पुलिस को जिस तरह तैयारी करनी चाहिए थी, उसने नहीं की। साथ ही इलाके में चलने वाली गैर कानूनी गतिविधियों पर भी पुलिस का रवैया ढीला रहता है। हालांकि पिछले कुछ महीनों में बंगाल में पुलिस और थानों पर हमले बढ़े हैं। इस नजरिए से भी इस घटना को देखा जाना चाहिए।
हमें पता चला कि इस इलाके में तस्करी, अफीम की खेती, जाली नोट का धंधा, बम और कट्टा बनाने का काम बड़े पैमाने पर होता है। इन धंधों में शामिल लोग या वे लोग जिनका हित इस धंधे से जुड़ा है, उन्हीं का इस हिंसा से रिश्ता दिखता है। हमारा मानना है कि अगर यह साम्प्रदायिक घटना होती या हिंसा का मकसद हिन्दुओं पर हमला करना होता तो हिन्दूपाड़ा या आसपास के इलाके की शक्ल आज अलग होती। इसे साम्प्रदायिक बनाने की कोशिश वस्तुत: अगले साल होने वाले चुनाव के परिप्रेक्ष्य में देखी जा सकती है।
2011 की जनगणना के मुताबिक, कालियाचक की कुल आबादी 392517 यानी तीन लाख 92 हजार 517 है। इसमें महज 10.6 फीसदी हिन्दू (41456) है और 89.3 फीसदी मुसलमान (350475) हैं। आबादी की इस बनावट से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस तरह की बात हो रही है, अगर वह सच होता तो आज हालात क्या होते।
इस टीम की कोशिश है कि इसकी विस्तृत रिपोर्ट जल्द ही बनाई जाए।
आशीष रंजन- शोहिनी लाहिरी-नासिरूद्दीन