
न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव की तरफ से आयोजित ‘डेमोक्रेसी डायलॉग्स सीरीज ‘ का 12 वां व्याख्यान अग्रणी लेखक, स्तम्भकार, दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग से सम्बद्ध प्रोफेसर अपूर्वानंद 6 बजे शाम, रविवार, 28 नवम्बर 2021 को प्रस्तुत करेंगे।
विषय : ‘वैष्णवजन की खोज में’
“वैष्णवजन की कल्पना को राजनीतिक और सामाजिक पटल पर स्थापित करने का श्रेय गाँधी को है। इस बात पर ध्यान जाना चाहिए कि उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन में या राष्ट्र की स्वतंत्रता के संघर्ष में गाँधी ने वैष्णवजन को संभवतः इस आंदोलन के लिए आदर्श आंदोलनकारी के रूप में पेश किया। वह कैसा जन है? पीर और पराई , इन दोनों से उसका रिश्ता क्या होगा? और क्यों एक सच्चा जनतांत्रिक जन वैष्णवजन ही हो सकता है? हमारे संविधान की प्रस्तावना में हम भारत के लोग जिस यात्रा पर निकले हैं क्या वह इस वैष्णवजनत्व की तलाश की यात्रा है?”
हिंदी तथा अंग्रेजी अख़बारों तथा अन्य प्रकाशनों में तथा टीवी की चर्चाओं में अपनी निरंतर सशक्त उपस्थिति दर्ज करते रहने वाले प्रोफेसर अपूर्वानंद सार्वजनिक जीवन में न्याय, समता और तार्किकता के पक्ष में अपने सक्रिय हस्तक्षेप के लिए जाने जाते हैं .
आप ने कई किताबें भी लिखी हैं, जिनमें से कुछ के शीर्षक इस प्रकार हैं : ‘सुंदर का स्वप्न ‘ ( वाणी प्रकाशन, 2001 ) , ‘साहित्य का एकांत’ ( वाणी प्रकाशन , 2008 ), The Idea of University ( Context, 2018 ) , Education at the Crossroads ( Niyogi Books, 2018 )
व्याख्यान फेसबुक पर live होगा : facebook.com/newsocialistinitiative.nsi
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