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‘पृथ्वी के असंख्य घाव’  गिनता अकेला आदमी

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…..यह हमारी सोच की एक अनपहचानी सीमा है
नहीं समझते हम
कि अकेला आदमी जब सचमुच अकेला होता है
तो वह गिन रहा होता है
पृथ्वी के असंख्य घाव
और उनके विरेचन के लिए
कोई अभूतपूर्व लेप तैयार कर रहा होता है।
(अकेला आदमी – विमलेश त्रिपाठी)

कालजयी रचनाएं समय स्थान की सीमाओं को लांघ कर किस तरह आप को अपनी लगने लगती हैं, इसको बयां करना मुश्किल है।

हान्स क्रिश्चन एंडरसन (2 अप्रैल 1805- 4 अगस्त 1875) महान डैनिश लेखक – जिन्होंने नाटकों, यात्रा वृत्तांतों , उपन्यासों और कविताओं के रूप में प्रचुर लेखन किया – अपनी परिकथाओं के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं। उनकी परिकथाएं नौ खंडों में प्रकाशित हुई हैं और दुनिया की 125 जुबां में अनूदित भी हुई हैं।

उनकी एक ऐसी अदभुत रचना है ‘राजा के नए कपड़े’ – जिसे हम ‘निर्वस्त्र राजा’ के तौर पर अधिक जानते हैं।

जब जब किसी मुल्क में अधिनायकवाद की हवाएं चलने लगती हैं, और लोगों पर अधिनायक की अजेयता का जादू सर चढ़ कर बोलने लगता है और उसके खिलाफ बोलना भी कुफ्र में शुमार किया जाने लगता है, यह कहानी नए सिरेसे मौजूं हो जाती है।

विशाल जुलूस में निर्वस्त्र निकल पड़ा राजा, जो कथित तौर पर जादूई वस्त्र पहना है – जिन्हें देख कर अधिकतर लोग खूप गुणगान किए जा रहे हैं – और उसकी सच्चाई को बतानेवाले उस नन्हे बच्चे का रूपक आज भी मन को मोहित करता रहता है।

एक संवेदनशील, न्यायप्रिय व्यक्ति को अन्दर ही अन्दर ताकत देता रहता है।

ऐसी ही एक अन्य रचना है ‘Enemy of the People ’ (जनता का दुश्मन,1882 ) जिस नाटक की रचना नॉर्वे के महान नाटककार हेनरिक इब्सेन (20 मार्च 1928 –  23 मई 1906 )ने की थी। बताया जाता है कि शेक्सपीयर के बाद दुनिया भर में इन्हीं के नाटक आज भी खेले जाते हैं। नाटक का प्रमुख सन्देश यही है कि एक व्यक्ति, जो अकेला खड़ा रहता है, वह जनता की भीड़ से अधिक ‘‘सही’’ होता है। अपने दौर की उस धारणा को कि समुदाय/समाज बहुत महान संस्था है और जिस पर भरोसा किया जाना चाहिए उसी को वह चुनौती देता है।

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