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21 वीं सदी की दूसरी दहाई में जबकि संविधान लागू हुए साठ साल बीत गया हो और अस्पृश्यता को उसके तमाम रूपों में समाप्त करने को लेकर आधिकारिक ऐलान किया गया हो, तब क्या इस बात की उम्मीद की जा सकती है कि किसी प्रार्थनास्थल पर बाकायदा बोर्ड लगा कर अनुसूचित तबके के लोगों के प्रवेश पर पाबन्दी की बात लिखी गयी हो। अपने विपुल रचनासंसार से एक अलग छाप छोड़ने वाले साहित्यकार एस आर हरनोट पिछले दिनों इसी मसले को लेकर चर्चा में आए, जब उन्होंने हिमाचल के एक चर्चित मन्दिर में ऐसे ही बोर्ड देखे।
देश के अग्रणी दैनिक (द हिन्दू) में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक श्री हरनोट ने बिलासपुर जिले के प्रख्यात मार्कण्डेय मंदिर के प्रबन्धन के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करानी चाही क्योंकि वह अनुसूचित जातियों के सदस्यों के साथ खुल्लमखुल्ला भेदभाव कर रहे थे । एक बयान में उन्होंने बताया कि मंदिर प्रबन्धन कमेटी ने दलितों के मंदिर प्रवेश पर पाबन्दी को लेकर बाकायदा बोर्ड लगाए हैं।
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