Guest Post by Aman Abhishek
गुलफीशा फ़ातिमा, सफुरा जरगर, देवांगना कलिता और नताशा नरवाल
दुनिया के जाने-माने प्रोफ़ेसर और पत्रकार डॉक्टर लेता होन्ग फ़िंचर अपनी किताब “बिट्रेइंग बिग ब्रदर: दी फेमनिस्ट अवेकनिंग इन चाइना” में लिखती हैं कि किस तरह चीनी सरकार के द्वारा मार्च 2015 में पांच कार्यकर्तायों की गिरफ्तारी ने चीनी नारीवादी आन्दोलन को एक नया मोड़ दे दिया | जिन पांच महिलाओं को गिरफ्तार किया गया था वे विश्वमहिला दिवस के मौके पर यौन उत्पीडन के खिलाफ बसों और ट्रेनों में पर्चे बाँट रही थी | परन्तु चीनी सरकार ने झगड़े उसकाने के आरोप लगाकर गिरफ्तारी कर ली | इसका परिणाम यह हुआ कि ये पांच महिलाएं “फेमस फाइव” यानी “पांच प्रसिद्ध” के नाम से जानी गई | इन गिरफ्तारियों ने चीनी नारीवादी आदोंलन को कमजोर करने के बजाए एक नयी उर्जा प्रदान की और गिरफ्तारियों के विरोध में बड़े पैमाने पर आन्दोलन शुरू हो गए|
अब भारत में हाल की परिस्थितियों पर गौर करें | दिसम्बर 2019 से मार्च 2020 तक देश के सैकड़ों सार्वजनिक स्थानों पर हजारों आन्दोलनकारियों ने, महिलाओं के नेतृत्व में, सीएए के विरोध में सशक्त और शांतिपूर्ण आन्दोलन किया और लगातार धरना चला | शाहीनबाग जैसे जगहों पर रात दिन धरने चले | देश भर के आन्दोलनकारी उसी सीएए का विरोध कर रहे थे जिसे संयुक्त्त राष्ट्र संघ और और अनेकों मानवाधिकार संगठनों ने मुस्लिम विरोधी और घोर पक्षपातपूर्ण करार दिया है| महिलाओं के नेतृत्व और भागीदारी की वजह से सीएए विरोधी आन्दोलन केवल नागरिकता के सवालों तक सीमित न रहकर भारतीय नारीवादी आन्दोलन के इतिहास में एक अहम कड़ी बन गया |
अप्रैल से भारत सरकार ने सीएए विरोधी आन्दोलन के महिला नेतृत्व की गिरफ्तारियां शुरू कर दी | इन महिलाओं की गिरफ्तारियों की वजह हिंसा भड़काने से लेकर आतंकवाद तक बताई गई | गिरफ्तार लोगों में शामिल गुलफीशा फ़ातिमा मुस्लिम समुदाय की नेता हैं, सफुरा जरगर जामिया मिलिया की छात्रा हैं तथा गिरफ्तारी के वक्त तीन माह से गर्भवती थी | देवांगना कलिता और नताशा नरवाल , पिंजड़ा तोड़ आन्दोलन की संस्थापक हैं (पिंजड़ा तोड़ समूह के कार्यकर्ताओं ने शैक्षणिक संस्थाओं में लैंगिक भेद-भाव और पितृसत्ता के खिलाफ आन्दोलन किया है) | यह गिरफ्तारियां एक वैश्विक महामारी के दौरान की गई है, जो इस महिलाओं की जिन्दगी के लिए घातक साबित हो सकता है | Continue reading महिला आन्दोलनकारियों की गिरफ्तारियां और भारत सरकार की पितृसत्ता : अमन अभिषेक