Tag Archives: भारत

पाकिस्तान का वर्तमान अब भारत का भविष्य नज़र आने लगा है

शब्द और विचार हर किस्म के कठमुल्लों को बहुत डराते हैं. विचारों से आतंकित लोगों ने अब शब्दों और विचारों के ख़िलाफ़ बंदूक उठा ली है.

New Delhi: Demonstrators hold placards with the picture of journalist Gauri Lankesh during a 'Not In My Name' protest at Jantar Mantar in New Delhi on Thursday. PTI Photo(PTI9_7_2017_000157B)

Gauri, you are more than a memory

You are a direction

For a world that should not be!

– K P Sasi

1
कुछ लोग जीते जी किवदंती बन जाते हैं. कन्नड़ भाषा के अग्रणी हस्ताक्षर पी लंकेश (जन्म 8 मार्च, 1935) ऐसे ही शख़्सियतों में शुमार किए जा सकते हैं. समाजवादी आंदोलन से ताउम्र सम्बद्ध रहे लंकेश, जो कुछ समय तक अंग्रेज़ी के प्रोफेसर भी रहे.

आज भी उनकी अपनी साप्ताहिक पत्रिका ‘लंकेश पत्रिके’ के लिए याद किए जाते हैं, जो उत्पीड़ितों, दलितों, स्त्रियों और समाज में हाशिये के तबकों का एक मंच बनी थी, जिसने कन्नड़ भाषा में आज सक्रिय कई नाम जोड़े, जो उसूल के तहत विज्ञापन नहीं लेती थी और एक समय था जब उसकी खपत हज़ारों में थी और उसके पाठकों की संख्या लाखों में.

लंकेश के बारे में मालूम है कि 25 जनवरी, 2000 को अपने साप्ताहिक का संपादकीय लिख कर सोने चले गए तो फिर जगे ही नहीं. कर्नाटक का समूचा विचारजगत स्तब्ध था. इसे विचित्र संयोग कहा जाना चाहिए कि दिल का दौरा पड़ने से हुई उनकी मौत के सत्रह साल आठ महीने और दस दिन बाद महज कर्नाटक ही नहीं, पूरे देश का विचारजगत स्तब्ध है, जब उनकी बड़ी बेटी गौरी लंकेश की मौत की ख़बर लोगों ने सुनी है, जो हत्यारों की गोलियों का शिकार हुईं.

( Read the full text of the article here : http://thewirehindi.com/18088/gauri-lankesh-murder-fundamentalist-dissent/)

 

 

फर्ज़ी प्रमाण पत्र के सहारे दलित और आदिवासियों के अधिकार पर डाका

सांसद समेत अन्य लोग फर्ज़ी कागज़ातों के ज़रिये दलित और आदिवासियों के अधिकार छीन रहे हैं.

Indian tribal people sit at a relief camp in Dharbaguda, in the central state of Chhattisgarh, March 8, 2006. Violence in Chhattisgarh, one of India's poorest states, has mounted since the state government set up and started funding an anti-Maoist movement. Picture taken March 8, 2006. REUTERS/Kamal Kishore

(फोटो: कमल किशोर/रॉयटर्स)

मध्य प्रदेश के बैतूल से अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट से दूसरी बार चुनी गईं सांसद ज्योति धुर्वे की सदस्यता फिलवक़्त ख़तरे में पड़ती नज़र आ रही है.

पिछले दिनों मध्य प्रदेश सरकार की उच्चस्तरीय जांच कमेटी ने सघन जांच के बाद उनके द्वारा प्रस्तुत किए जाति प्रमाण पत्र को खारिज़ कर दिया.

ख़बरों के मुताबिक अपने जाति प्रमाण पत्र की कथित संदिग्धता के चलते धुर्वे तभी से विवादों में रही हैं जब 2009 में वह पहली दफ़ा वहां से सांसद चुनी गई थीं. यह आरोप लगाया गया था कि वह गैर आदिवासी समुदाय से संबद्ध हैं और उन्होंने फर्ज़ी जाति प्रमाण पत्र जमा किया है.

इस मसले को लेकर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के सामने एक केस दायर किया गया है और अदालत के आदेश पर ही उपरोक्त जांच पूरी की गई है.

गौरतलब था कि जांच के दौरान पाया गया कि उनका जाति प्रमाण पत्र वर्ष 1984 में रायपुर से जारी हुआ था, मगर जब कमेटी ने इस बारे में कुछ और प्रमाणों की मांग की तो सांसद महोदया उन्हें कमेटी के सामने प्रस्तुत नहीं कर सकी.

कमेटी ने यह फैसला एकमत से लिया है और इसके बाद सांसद महोदया के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग उठी है. विपक्ष का कहना है कि यह मसला 2009 से सुर्ख़ियों में रहने के बावजूद राजनीतिक दबाव के चलते इस पर फैसला नहीं लिया गया था.

बहरहाल, ज्योति धुर्वे के बहाने फिर एक बार फर्ज़ी जाति प्रमाण पत्रों का मसला चर्चा में आया है.

(Read the complete text here : http://thewirehindi.com/8059/how-our-leaders-and-other-people-snatching-the-rights-of-dalit-and-adivasi-by-fake-certificates/)