ऊपर से शांत दिखने वाली भीड़ का हिंसक बन जाना अब हमारे वक्त़ की पहचान बन रहा है. विडंबना यही है कि ऐसी घटनाएं इस क़दर आम हो चली हैं कि किसी को कोई हैरानी नहीं होती.

15 वर्ष का जुनैद ख़ान, जिसकी चाहत थी कि इस बार ईद पर नया कुर्ता पाजामा, नया जूता पहने और इत्र लगा कर चले, लेकिन सभी इरादे धरे के धरे रहे गए. उसे शायद ही गुमान रहा होगा कि ईद की मार्केटिंग के लिए दिल्ली की उसकी यात्रा ज़िंदगी की आख़िरी यात्रा साबित होगी. दिल्ली बल्लभगढ़ लोकल ट्रेन पर जिस तरह जुनैद तथा उसके भाइयों को भीड़ ने बुरी तरह पीटा और फिर ट्रेन के नीचे फेंक दिया, वह ख़बर सुर्ख़ियां बनी है.
दिल्ली के एम्स अस्पताल में भरती उसका भाई शाकिर बताता है कि किस तरह भीड़ ने पहले उन्हें उनके पहनावे पर छेड़ना शुरू किया, बाद में गाली गलौज करने लगे और उन्हें गोमांस भक्षक कहने लगे और बात बात में उनकी पिटाई करने लगे. विडम्बना है कि समूची ट्रेन खचाखच भरी थी, मगर चार निरपराधों के इस तरह पीटे जाने को लेकर किसी ने कुछ नहीं बोला, अपने कान गोया ऐसे बंद किए कि कुछ हुआ ही न हो.
ट्रेन जब बल्लभगढ़ स्टेशन पर पहुंची तो भीड़ में से किसी ने अपने जेब से चाकू निकाल कर उन्हें घोंप दिया और अगले स्टेशन पर उतर कर चले गए. एक चैनल से बात करते हुए हमले का शिकार रहे मोहसिन ने बताया कि उन्होंने ट्रेन की चेन भी खींची थी, मगर उनकी पुकार सुनी नहीं गई. इतना ही नहीं, रेलवे पुलिस ने भी मामले में दखल देने की उनकी गुजारिश की अनदेखी की.
विडंबना ही है कि उधर बल्लभगढ़ की यह ख़बर सुर्ख़ियां बन रही थी, उसी वक़्त कश्मीर की राजधानी श्रीनगर की मस्जिद के बाहर सादी वर्दी में तैनात पुलिस अधिकारी को आक्रामक भीड़ द्वारा मारा जा रहा था. जुनैद अगर नए कपड़ों के लिए मुंतज़िर था तो अयूब पंडित को अपनी बेटी का इंतज़ार था जो बांगलादेश से पहुंचने वाली थी.
( Read the full article here : http://thewirehindi.com/12095/mob-lynching-and-india/)
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