(नई दिल्ली का सौवां साल शुरू होने पर हिंदी साप्ताहिक आऊटलुक में यह लेख पहली बार प्रकाशित हुआ था.)
अब जबके हर तरफ यह एलान हो चुका है के दिल्ली १०० बरस की हो गयी है और चारों ओर नई दिल्ली के कुछ पुराने होने का ज़िक्र भी होने लगा है, इन दावों के साथ साथ के दिल्ली तो सदा जवान रहती है और देखिये ना अभी कामन वेल्थ खेलों के दौरान यह एक बार फिर दुल्हन बनी थी वगेरह वगेरह तो हमने सोचा के क्यों न इन सभी एलान नामों की सत्यता पर एक नजर डाल ली जाए, और इसी बहाने उस दिल्ली वाले से भी मिल लिया जाए जो इस अति प्राचीन/ मध्य कालीन/ आधनिक नगरी का नागरिक होते हुए भी वैशवीकरण के झांसे में इतना आ चुका है के वो अपने आप को २१वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में आने वाले आर्थिक संकट को पछाड देने वाले चमचमाते भारत देश की राजधानी का शहरी होने का भरम पाले हुए है. Continue reading यहाँ से शहर को देखो…