कुछ महीने पहले प्रतापभानु मेहता ने पूछा,’डेमॉगॉग को हिंदी में क्या कहेंगे?’ इतनी बार इस शब्द का प्रयोग किया है लेकिन इसका हिंदी प्रतिरूप खोजना सूझा नहीं। डेमॉगॉग कौन है बताया जा सकता है लेकिन क्या है,बताना इतना सरल नहीं। तुरत दिमाग में लफ्फाज कौंधा लेकिन उसका रिश्ता वाचालता से अधिक है। फिर एक और शब्द की ओर ध्यान दिलाया मित्र अरशद अजमल ने,शोलाबयानी। लगा कि यह अंगेज़ी के ‘रैबल राउज़र’ के काम के लिए अधिक उपयुक्त प्रतिरूप है। फादर कामिल बुल्के के और दूसरे शब्दकोशों में देखा तो पाया कि यह शब्द है ही नहीं। तो क्या फादर का कभी किसी डेमॉगॉग से पाला नहीं पड़ा था? Continue reading डेमॉगॉग का वक्त