Laltu‘s poem written in 2004; published in Dainik Bhaskar in 2005.
‘इशरत’
एक
इशरत!
सुबह अँधेरे सड़क की नसों ने आग उगली
तू क्या कर रही थी पगली !
लाखों दिलों की धड़कन बनेगी तू
इतना प्यार तेरे लिए बरसेगा
प्यार की बाढ़ में डूबेगी तू
यह जान ही होगी चली!
सो जा
अब सो जा पगली. Continue reading Ishrat: Laltu’s poem