मोहन भागवत ‘वोक पीपल’ और ‘वोक़िज़्म’ को लेकर इतना ग़ुस्से में क्यों है?

कहीं ऐसा तो नहीं कि ‘सांस्कृतिक मार्क्सवादी’ और ‘वोक पीपल’ (Woke People) को लेकर संघ सुप्रीमो की ललकार एक तरह से उत्पीड़ितों की दावेदारी और स्वतंत्र चिंतन के प्रति हिंदुत्व वर्चस्ववाद की बढ़ती बेचैनियों  को ही बेपर्द करती है.

मुल्क की दारूल हुकूमत अर्थात राजधानी दिल्ली- आए दिन कुछ न कुछ सेमिनार, संगोष्ठियां, विचारोें के अनौपचारिक आदान-प्रदान की मौन गवाह बनी रहती है. आम तौर पर वह ख़बर भी नहीं बन पाते, अलबत्ता कुछ तबादले खयालात कभी-कभी सुर्खियां बन जाते हैं.

पिछले दिनों यहां के भव्य ताज एम्बेसेडर होटल में एक विचार-विमर्श चला, जो अलग कारणों से सुर्खियां बना. आयोजक के चलते और जिस मसले पर वहां गुफ्तगू चली उसे लेकर. दरअसल इसका आयोजन भारतीय जनता युवा मोर्चा ने किया था, जो आम तौर पर ऐसी बौद्धिक गतिविधियों के लिए जाना नहीं जाता है.

दूसरी अहम बात थी कि इस विचार-विमर्श में अमेरिका, जर्मनी और चंद अन्य पश्चिमी मुल्कों के कई अनुदारवादी, रूढ़िवादी विचारक, अकादमिशियन जुटे थे और भारत के शिक्षा संस्थानों से जुड़े कई अकादमिशियन भी थे. बातचीत किन मसलों पर चली इसके आधिकारिक विवरण उपलब्ध नहीं है, लेकिन इतना तो समाचार में सुनने को मिला है कि वहां ‘वोकवाद’ (Wokeism-वोक़िज़्म) पर भी बातचीत चली थी. ( Read the rest of the article here)

2 thoughts on “मोहन भागवत ‘वोक पीपल’ और ‘वोक़िज़्म’ को लेकर इतना ग़ुस्से में क्यों है?”

  1. Please look at the earlier article ( https://kafila.online/2024/02/28/why-hindutva-is-worried-about-woke-people-or-wokeism/) or continue reading the hindi article..

    लेख में इसका सबसे पहले उल्लेख किया है, अगर आप आगे पढेंगी (https://thewirehindi.com/269555/rss-mohan-bhagwat-wokeism-hindutva/) तो स्पष्ट होता जायेगा (https://kafila.online/2024/02/28/why-hindutva-is-worried-about-woke-people-or-wokeism/)

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