उत्तरी गोवा के बंडोरा गांव की पंचायत का एक फैसला पिछले दिनों राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गया। उन्होंने न तो किसी नए सड़क की मांग की न किसी स्कूल की। वे एक संस्था पर पाबंदी चाहते थे। वे चाहते थे कि उस संस्था का मुख्यालय गांव से हटे। उनका कहना था कि उस संस्था के चलते गांव की बदनामी हो रही है। उसी के कारण आए दिन पुलिस और गुप्तचर एजेंसियों के लोग वहां पहुंचते रहते हैं। उनका कहना था कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो इसके लिए वे जल्द ही आंदोलन शुरू करेंगे। गौरतलब है कि कुछ साल पहले भी उन्होंने यह मांग की थी, जिस पर ध्यान नहीं दिया गया था। दरअसल हाल के दिनों में नए सिरे से चर्चा में आई ‘सनातन संस्था’ का मुख्यालय इसी गांव में है।
नैतिक पहरेदारी
यह वही संस्था है, जिससे जुड़े सांगली के समीर गायकवाड़ को पिछले दिनों कॉमरेड गोविंद पानसरे की हत्या की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। इस साजिश में उसके अन्य साथी भी पकड़े गए। पुलिस को उसके अन्य कार्यकर्ताओं रुद्र पाटिल और सारंग अकोलकर की भी तलाश है, जिन्हें अक्टूबर 2009 के मडगांव बम विस्फोट में फरार घोषित किया गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने बयान दिया कि लंबी निगरानी के बाद ठोस सुरागों के आधार पर ही ये गिरफ्तारियां हुई हैं। पानसरे की हत्या की जांच के आगे बढ़ने के क्रम में इस बात के भी संकेत मिल रहे हैं कि 2013 में हुईर डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या और पिछले दिनों कर्नाटक में हुए प्रोफेसर कलबुर्गी के मर्डर में भी आपसी रिश्ता रहा है।
आध्यात्मिकता की बात करने वाली, मगर अपने कार्यकर्ताओं की हिंसक कार्रवाइयों के कारण विवादास्पद बनी ‘सनातन संस्था’ पर पाबंदी की मांग कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के अलावा वामपंथी दलों ने भी की है। फिलवक्त बीजेपी इस बात को लेकर असहज है कि संस्था पर पाबंदी की मांग उठाने वाले अपने ही विधायक विष्णु वाघ को क्या जवाब दे? वाघ ने अतिवादी संगठनों पर पाबंदी को लेकर सरकार के दोहरे रुख को उजागर किया है। उन्होंने सनातन संस्था की तुलना प्रतिबंधित संगठन ‘सिमी’ (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) से करते हुए दलील दी है कि इस संस्था पर अगर बाहर के कई देशों में पाबंदी लग सकती है, तो यहां क्यों नहीं? अगर प्रमोद मुतालिक की अगुआई वाली श्रीराम सेने की गतिविधियों पर रोक लगाई जा सकती है तो सनातन संस्था पर क्यों नहीं? Continue reading श्रीराम सेने से नफरत, सनातन संस्था पर इनायत !