Tag Archives: महिला सशक्तिकरण

धर्म की आड़ में महिला अस्मिता पर प्रहार: जीत सिंह सनवाल

Guest post by JEET SINGH SANWAL

उन्नाव (उ.प्र.) से भारतीय जनता पार्टी के सांसद साक्षी महाराज ने पिछले माह हिन्दू धर्मावलम्बी महिलाओं को चार-चार बच्चे पैदा करने की सलाह देकर हिन्दुत्ववादी संगठनों की वर्षों पुरानी ख्वाहिश को मानो एक जीवनदान दे दिया। इस बयान के बाद तमाम हिन्दुत्ववादी संगठनों ने धर्म की दुहाई देते हुए महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने की सलाह देने के लिए मोर्चा संभाल लिया। कुछ लोगों ने तो आठ और कुछ ने दस-दस बच्चों को पैदा करने तक का आह्वान कर दिया। कई वर्षों से विश्व हिन्दू परिषद इस विषय को मुद्दा बनाये हुए है लेकिन साधारण जनमानस ने उसे कोई महत्व नहीं दिया। भाजपा के नेताओं द्वारा इस तिरस्कृत मुद्दे को उछालने के बाद इस तरह के तमाम संगठनों ने इसे हाथों-हाथ लेते हुए एक व्यापक मुद्दा बनाने का प्रयास किया।

महत्वपूर्ण बात यह है कि वी.एच.पी. से संबंधित साध्वियों को यदि छोड़ दें तो महिलाओं से संबंधित इस मुद्दे पर यह बहस पुरुषों ने शुरू की है। महिलाओं को संबोधित करने वाले ये बयान महिलाओं पर अधिकार जमाने वाले पुरूष मानसिकता का प्रतिरूप है, जिसमें महिलाओं की स्वतंत्रता, इच्छा, अधिकार, समानता व आत्मसम्मान की कोई जगह नहीं है।

इस मुद्दे की जमीनी सच्चाई तो यह है कि ऐसे  बयानों के बावजूद भारतीय महिलाओं ने प्रजनन दर को कम रखने को प्राथमिकता दी है। जनसंख्या निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार भारत की कुल प्रजनन दर जो 1971 में 5.2 थी वह घटकर 2013 में 2.3 हो गई। धार्मिक भावनाओं केा भड़का कर इन महिला विरोधी बयानों को तूल देने की इस प्रक्रिया में चिंता इस बात की है कि इसमें धर्म के ठेकेदारों के साथ-साथ सत्ता पक्ष से जुड़े राजनेताओं ने भी मोर्चा संभाला हुआ है। छिट-पुट विरोधों के अलावा प्रगतिशील मंचों से इस तरह के बयानों की कोई खास आलोचना न होने से भी इन संगठनों व लोगों के हौसले बढे  हैं।  Continue reading धर्म की आड़ में महिला अस्मिता पर प्रहार: जीत सिंह सनवाल