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जो पहले नहीं हुआ: किशोर कुमार

Guest Post by KISHORE KUMAR

लगभग चालीस लेखकों के पुरुस्कार लौटाने के बाद अब फिल्म निर्देशकों ने भी पुरुस्कार लौटने शुरू कर दिए. यह पुरुस्कार बढती असहनशीलता और अभिव्यक्ति की स्वंत्रता के दमन के विरोध में लौटाए जा रहे हैं.

बी.जे.पी की राय में यह राजनीति से प्रेरित कदम है और यह सब बी.जे.पी के खिलाफ हो रही साजिश का हिस्सा है. बी.जे.पी के अनुसार आज कुछ ऐसा नया नहीं हुआ जो पहले ना हुआ हो और इन लोगों ने उस समय यह पुरूस्कार वापस क्यों नहीं लौटाए? बी.जे.पी. के अनुसार पुरुस्कार लौटना छदम धर्मनिरपेक्ष लोगों का नाटक है और  असहनशीलता इतनी नहीं बढ़ी और माहौल इतना ख़राब नहीं हुआ कि इतना शोर मचाया जाए. Continue reading जो पहले नहीं हुआ: किशोर कुमार