
भारत के दो महानगरों राष्ट्रिय राजधानी दिल्ली और बम्बई को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर की सूची में नामांकित करने की तैयारियां चल रही हैं, कुछ मित्रों ने दिल्ली या बम्बई की बहस शुरू कर दी है जो वास्तव में पूर्णत: अनर्गल बात है.
में दिल्ली बनाम बम्बई के पचड़े में पड़ने के बजाये ये सवाल पूछना चाहता हूँ के ऐसा क्यों है के 65,436,552 की कुल आबादी और 6,74,800 वर्ग किलोमीटर के कुल क्षेत्रफल वाले फ्रांस में 35 स्थान, नगर, इमारतें प्राकृतिक स्थल आदि ऐसे हैं जो विश्व धरोहर की सूची में शामिल किये गए हैं मगर इस सूची में भारत का नाम केवल 29 बार ही आता है.
जो सवाल पूछना ज़रूरी है वो यह के सिर्फ दिल्ली या/और बम्बई ही क्यों? जोधपुर, जयपुर, अजमेर, इंदौर, उज्जैन, भोपाल, बनारस, इलाहबाद, लखनऊ, पटना, वैशाली, हैदराबाद, विदिशा कालिंजर, मदुरै, कांचीपुरम कलकत्ता और मद्रास क्यों नहीं ?, आप ने नोट किया होगा के बम्बई कलकत्ता और मद्रास के नए नाम में इस्तेमाल नहीं कर रहा हूँ और दिल्ली को भी देहली नहीं लिखा है. यह जान बूझ कर किया जा रहा है दरअसल विरासत कहीं अतीत में जड़ हो गयी कोई चीज़ नहीं है और इसलिए नाम बदलने की समस्त परियोजनाएं विरासत से छेड़ छाड करने की निन्दनीय प्रवर्ति का ही हिस्सा हैं. Continue reading दिल्ली बनाम बम्बई