अब यह बात नई नहीं रह गई है. लेकिन है इतनी निराली भारतीय चुनावी राजनीति में कि दुहराने में हर्ज नहीं. दिल्ली के आम जन ने अपना पक्ष चुन लिया है. उसके बारे में खुलकर बोलने में उसे झिझक भी नहीं. आम आदमी पार्टी या झाडू छाप .अब वह किसी छलावे और भुलावे में आने को तैयार नहीं. उसे राजनीति में असभ्यता बुरी लगी है.
उसे यह बात नागवार गुज़री है, जैसा मेट्रो स्टेशन ले जाते ऑटो वाले ने कहा, “दूसरे देश से बुला लिया 26 जनवरी को और केजरीवाल को न्योता नहीं दिया! फिर कहा कि अगर निमंत्रण चाहिए तो हमारी पार्टी में आओ.”
वह बहुत पढ़ा-लिखा नहीं, लेकिन इतना उसे पता है कि आज तक भारतीय संसदीय राजनीति में यह बदतमीजी नहीं की गई.
आपका हो तो 13 दिन का भी होकर भूतपूर्व प्रधानमंत्री हो जाता और दूसरा 49 दिन के बाद भी भूतपूर्व मुख्यमंत्री के लायक शिष्टाचार का हक़दार नहीं! Continue reading चुनाव दिल्ली का:बाज़ी मात नहीं!