‘नफरत के गुरूजी’

गोलवलकर के महिमामंडन से उठते प्रश्न

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संघ के सुप्रीमो जनाब मोहन भागवत की सूबा मध्य प्रदेश की बैतुल की यात्रा पिछले दिनों सूर्खियों में रही, जहां वह हिन्दू सम्मेलन को संबोधित करने पहुंचे थे। सूर्खियों की असली वजह रही बैतुल जेल की उनकी भेंट जहां वह उस बैरक में विशेष तौर पर गए, जहां संघ के सुप्रीमो गोलवलकर कुछ माह तक बन्द रहे।  इस यात्रा की चन्द तस्वीरें भी शाया हुई हैं। इसमें वह दीवार पर टंगी गोलवलकर की तस्वीर का अभिवादन करते दिखे हैं। फोटो यह भी उजागर करता है कि भागवत के अगल बगल जेल के अधिकारी बैठै हैं।

विपक्षी पार्टियों ने – खासकर कांग्रेस ने – इस बात पर भी सवाल उठाया था कि आखिर किस हैसियत से उन्हें जेल के अन्दर जाने दिया गया। उनके मुताबिक यह उस गोलवलकर को महिमामंडित करने का प्रयास  है, जिसे ‘एक प्रतिबंधित संगठन के सदस्य होने के नाते गिरफ्तार किया गया था। यह जेल मैनुअल का उल्लंघन भी है। केवल कैदी के ही परिजन एवं दोस्त ही जेल परिसर में जा सकते हैं और वह भी वहां जाने से पहले जेल प्रबंधन की अनुमति लेने जरूरी है।’

गौरतलब है कि संघ के तत्कालीन सुप्रीमो गोलवलकर की यह पहली तथा अंतिम गिरफतारी आज़ाद हिन्दोस्तां में गांधी हत्या के बाद हुई थी, जब संघ पर पाबन्दी लगायी गयी थी। प्रश्न उठता है कि आखिर गोलवलकर के इस कारावास प्रवास को महिमामंडित करके जनाब भागवत ने क्या संदेश देना चाहा।

( For full text of the article click here :https://hindi.sabrangindia.in/article/nafrat-ke-guruji-subhash-gathade

2 thoughts on “‘नफरत के गुरूजी’”

  1. This is another attempt to project golwalkar as a ‘ patriot’… He is only a ‘ Hindu ‘ Patriot and a rank right-wing manusmruti follower …!

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  2. देशमें संघ के लोगों के लिये कोई क़ायदा क़ानून नहीं होना चाहिये. यह जनतामऔर सरकारी महकमे के जेरनमें पूरी ताक़त से शायद करने की यह मोदी साज़िश देश के सिये बहूत ख़तरनाक हैं
    मोदी अपने एजन्डा को पूरी तरह और जल्द लागू करने का उतावली ॉें देश की व्यवस्था को बडा गहरा धकेला देृहे हैं.

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