Tag Archives: अर्द्ध विधवा

अता मोहम्मद खान के लिए दो मिनट का मौन

एक ‘कब्र खोदनेवाले’ के जनाज़े में इतने लोग शायद पहले कभी नहीं जुटे हों। अलबत्ता पिछले दिनों जब 75 साल की उम्र में अटटा मोहम्मद खान का इन्तक़ाल हुआ, तब यही नज़ारा दिख रहा था।
उत्तरी कश्मीर के सीमावर्ती शहर उरी के चहाल बिम्बयार गांव के निवासी रहे अटटा मोहम्मद खान ने अपने घर में ही अंतिम सांस ली थी। लम्बे समय से वह अस्थमा से पीड़ित थे। सोचने की बात थी कि ऐसे शख्स के लिए इतने सारे लोग क्यों मातम में थे ?
असल बात यह है कि वह कोई मामूली ‘कब्र खोदनेवाले’ नहीं थे। वह कश्मीर के रक्तरंजित इतिहास के एक ऐसे साक्षी थे, जिन्होंने अपनी रेगिस्तानी आंखों में बहुत कुछ समेट कर रखा था। वह कश्मीर की सिविल सोसायटी में चर्चित चेहरा थे, जबसे उन्होंने सूबे में फैली अचिन्हित कब्रों (unmarked graves) को ढंूढने में इन संस्थाओं की सहायता की थी। और जब हुक्मरानों की तरफ से बुलावा आया तो किसी से बिना डरे खुल कर वह सबकुछ बयां किया था। कुछ साल पहले राजधानी से निकलने वाले एक अंग्रेजी अख़बार /’Tragedies buried in Kashmir’  , मेल टुडे ने 28 मार्च, 2008/ ने जब कश्मीर में दफनायी गयी इन तमाम त्रासदियांे को उकेरना चाहा, तो अनाम, अचिन्हित कब्रों की अपनी रिपोर्ट में अट्टा मोहम्मद खान से भी की गुफतगू शामिल थी। वर्ष 2013 में उन्होंने अपना बयान निबंधों की एक किताब में दर्ज किया था, जिसका संकलन स्थानीय पत्रकार फहद शाह ने किया था।

Continue reading अता मोहम्मद खान के लिए दो मिनट का मौन