नरम हिन्दुत्व या ‘सेकुलर’ दलों की लड्डू पॉलिटिक्स?

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(क्या आंध्र प्रदेश दक्षिण में हिंदुत्व प्रयोग की नई प्रयोगशाला बनाने जा रहा है। दक्षिण के अग्रणी अख़बार डेक्कन हेराल्ड ने पिछले दिनों इस मसले पर विशेष सामग्री पेश की थी ा गौरतलब है कि इस सूबे की आंतरिक गतिविधियों पर शेष मुल्क की तब निगाह पड़ी, जब तिरुपति के लड्डू के मसले को सुर्खियां मिली . मगर ‘हिंदुत्व लाइट’ का यह सम्मोहन महज वहीं तक सीमित नहीं है )
सियासत भी अजीब होती है। अकसर इस बात का अंदाजा भी नहीं लग पाता कि कैसे वह शैतानों के सन्त में रूपांतरण को मुमकिन बना देती है और कैसे अन्य समुदायों के जनसंहारों को अंजाम देने वालों को ‘अपने लोगों’ के हृदयसम्राट या रक्षक के तौर पर स्थापित कर देती है।
शायद इसी विचित्रता की यह निशानी है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा हैती से आए आप्रवासियों को लेकर फैलायी जा रही झूठी ख़बरें कि वे कुत्तों का भक्षण करते हैं, अमेरिका की आबादी के अच्छे-खासे हिस्से को अविश्वसनीय नहीं लग रही- जिनका लगभग अस्सी फीसदी हिस्सा साक्षर है। इन झूठी और नफरती ख़बरों को लेकर हैती से जुड़े समूहों को ही अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है।
जहां दुनिया का सबसे ताकतवर जनतंत्र कुत्तों को लेकर पैदा किए गए एक विवाद में उलझा दिखता है, वहीं खुद को दुनिया में डेमोक्रेसी की माता कहलाने वाले भारत में लड्डू के इर्द-गिर्द खड़े किए गए इसी किस्म के एक फर्जी विवाद में पिछले दिनों लचीले हिन्दुत्व की राजनीति के नए रणबांकुरे उलझे दिखे थे । ( Read the full article here : https://junputh.com/open-space/soft-hindutva-and-laddoo-politics-of-naidu/)