बच्चों के लिए सैनिक प्रशिक्षण : आखिर महाराष्ट्र सरकार की यह नई योजना क्यों एक चिन्तित करने वाली पहल है ?

‘मैंने जापान में जनता को अपनी स्वतंत्रता की सीमाएं अपनी सरकार द्वारा स्वेच्छा से स्वीकार करते हुए देखा है…लोग इस सर्वव्यापी मानसिक दासता को प्रसन्नता और गर्व के साथ स्वीकार करते हैं क्योंकि वे अपने आपको शक्ति की एक मशीन, जिसे राष्ट्र कहा जाता है, में बदलने की तीव्र इच्छा रखते हैं…’ 

-रवीन्द्रनाथ ठाकुर, ‘नेशनलिज्म’  

बच्चों के लिए फौजी तालीम !

भारतीय संघ के सबसे समृद्ध सूबा कहलाने वाले महाराष्ट्र ने स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में एक नयी पहल हाथ में ली है। वह स्कूली छात्रों के लिए कक्षा 1 से ही बुनियादी फौजी प्रशिक्षण देना शुरू करेगा ताकि बच्चों में ‘देशभक्ति, अनुशासन और बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य की नींव डाली जा सके।’ एक स्थूल अनुमान के हिसाब से चरणबद्ध तरीके से लागू की जाने वाली इस योजना में लगभग ढाई लाख सेवानिवृत्त  सैनिकों को तैनात किया जाएगा। …..

यह प्रस्ताव कई स्तरों पर चिन्तित करने वाला है:
 
एक, जैसा कि जानकारों एवं शिक्षा शास्त्रियों ने बताया है कि राज्य का शिक्षा जगत एक जटिल संकट से गुजर रहा है, जिसका प्रतिबिम्बन कमजोर होती अवरचना / इन्फ्रास्टक्चर /infrastructure, अध्यापकों की कमी और नीतियों को लागू करने के रास्ते में आने वाली प्रचंड बाधाओं में उजागर होता है। ..अगर सरकार की तरफ से कक्षा एक से आगे फौजी प्रशिक्षण प्रदान करने की योजना को लागू किया गया तो उसका असर स्कूली शिक्षा के लिए आवंटित किए जा रहे संसाधनों में अधिक कटौती में दिखाई देगा

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