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कुल्हाडी की छाया में उम्मीद

‘शब्द हिरासत में हैं और हत्यारे खुलेआम घुम रहे हैं’

( Photo Courtesy : freethinker.co.uk, Martyr Rajib Haider who was killed by the Islamists on 15 th February 2013)

आम दिनों में ऐसे बयानों पर कोई गौर नहीं करता, मगर एक ऐसे समय में जबकि आप के कई साथी इस्लामिस्टों के हाथों मारे गए हों और उनके द्वारा जारी हिट लिस्ट में आप का नाम भी शुमार हो और उधर अपने आप को सेक्युलर कहलानेवाली सरकार भी  इन आततायियों के खिलाफ सख्त कदम उठाएगी ऐसी कोई उम्मीद नहीं दिखती तो, उस पृष्ठ भूमि में तीन ब्लागर्स द्वारा अपना नाम लेकर जारी किया गया एक बयान विद्रोह की आवाज़ को नए सिरेसे बुलन्द करना है। (http://sacw.net/article12741.html)

कुल्हाडी की छाया में उम्मीद’ यही शीर्षक है उस पत्र का जो बांगलादेश के युवा ब्लॉगर और लेखक आरिफ जेबतिक ने लिखा है। सरकार की समझौतापरस्ती की आलोचना करते हुए वह लिखते हैं कि ‘जब किसी नागरिक की हत्या होती है और राज्य की प्राथमिकता होती है कि पहले यह पता किया जाए कि उसने लिखा क्या न कि हत्यारों को पकड़ा जाए, तब स्पष्ट होता है कि इन ब्लागर्स के हत्यारों को पकड़ने में सरकार की कितनी दिलचस्पी है।’ ‘मेरे विचार चुपचाप रोते हैं’ शीर्षक से एक अन्य पत्र मारूफ रोसूल ने भी लिखा है जो लेखक हैं और ‘मुक्तो मोना’ (Mukto Mona ) नामक ब्लॉग के लिए नियमित लिखते हैं। वह लिखते हैं कि बुनियादपरस्त लोग पूरी दुनिया में उत्पात मचाए हुए हैं, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, मुक्त चिंतन सभी खतरे में है और इसलिए यह संघर्ष अनथक जारी रहना चाहिए, इसके पहले कि यह शैतानी ताकतें हमारी स्वतंत्रता में एक और कील न ठोंक दे।’ तीसरा पत्र जानेमाने ब्लागर एवं कार्यकर्ता इमरान सरकार ने लिखा है जो ‘बांगलादेश ब्लागर्स एण्ड आनलाइन एक्टिविस्ट नेटवर्क‘ के अग्रणी हैं तथा, ‘गणजागरण मंच‘ जैसे सेक्युलर आन्दोलन के प्रवक्ता हैं। इमरान सरकार लिखते हैं कि ‘शब्द हिरासत में हैं और हत्यारे खुलेआम घुम रहे हैं।’ ..हत्यारे मुक्त चिन्तन के रास्ते में एक के बाद एक बैरिकेड खड़े कर रहे हैं। एक एक सहयोद्धा की मौत के साथ उनके शोक में निकले जुलसों में लोगों की तादाद बढ़ रही है और सरकार हत्यारों को पकड़ने के बजाय ब्लागर्स के लेखन पर ही सवाल खड़ा कर रही है और सूचना एवं सम्प्रेषण टेक्नोलोजी की धारा 57 का इस्तेमाल करते हुए ब्लागर्स को ही गिरफतार कर रही है।’ Continue reading कुल्हाडी की छाया में उम्मीद