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भारत में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के 100 साल – तब और अब : माया जॉन

Guest post by MAYA JOHN

यह लेख इंडियन एक्सप्रेस में मई दिवस 2023 पर लिखे गए लघु लेख का हिन्दी रूपान्तरण है।

वो दिन ज़रूर आएगा जब हमारी खामोशी उन आवाज़ों से ज्यादा ताकतवर होगी जिनको आज तुम दबा रहे हो।

  • अमर शहीद अगस्त स्पाइज़ का हेमार्केट शहीद स्मारक पर उद्धृत कथन, अनुवाद हमारा

हर दिन मैं खुद को यह याद दिलाता हूँ कि मेरा अंदरूनी और बाहरी जीवन मृत और जीवित लोगों के श्रम पर आधारित है, और जो मुझे मिला है और मिल रहा है उसको उसी मात्रा में देने के लिए मुझे पुरज़ोर मेहनत करनी होगी।

  • अल्बर्ट आइंस्टीन, द वर्ल्ड एज़ आई सी इट (दुनिया मेरी नज़र में), अनुवाद हमारा

मई दिवस 2023 के साथ भारत में मई दिवस मनाए जाने के 100 साल पूरे हुए हैं। सिंगारावेलु चेट्टियार, जो कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की बड़ी शख़्सियतों और जाति-विरोधी आंदोलन से जुड़े शुरुआती कम्युनिस्ट नेताओं में से एक थे, उनको भारत में सबसे पहले मद्रास शहर में 1 मई, 1923 को मई दिवस मनाने का श्रेय दिया जाता है। सिंगारावेलु ने भारत में मई दिवस की शुरुआत कर कोशिश की कि भारतीय मजदूरों के संघर्षों को वैश्विक-स्तर के मज़दूरों के प्रतिरोध के साथ जोड़ा जाए। शिकागो में मई 1886 में मजदूरों की रैली से शुरू हुए मई दिवस की तीव्र तरंगें जो भारतीय तट तक 1923 में पहुँचीं, उस संवेग को आज भी दुनिया के विभिन्न हिस्सों में महसूस किया जा रहा है।

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