पवित्र किताब की छाया में आकार लेता जनतंत्र

भारतीय लोकतंत्र: दशा और दिशा को लेकर चन्द बातें

Never Be Deceived That the Rich Will Permit You To Vote Away Their Wealth
– Lucy Parsons

 

..लोग सोच रहे हैं कि आखिर जनतंत्र हर ओर दक्षिणपंथी हवाओें के लिए रास्ता सुगम कैसे कर रहा है, अगर वह ‘युनाईटेड किंगडम इंडिपेण्डस पार्टी’ के नाम से ब्रिटन में मौजूद है तो मरीन ला पेन के तौर पर फ्रांस में अस्तित्व में है तो नोर्बर्ट होफेर और फ्रीडम पार्टी के नाम से आस्टिया में सक्रिय है तो अमेरिका में उसे डोनाल्ड ट्रम्प के नाम से पहचाना जा रहा है। वैसे इन दिनों सबसे अधिक सूर्खियों में ब्रिटेन है, जिसने पश्चिमी जनतंत्र के संकट को उजागर किया है।

ब्रिटेन को यूरोपीयन यूनियन का हिस्सा बने रहना चाहिए या नहीं इसे लेकर जो जनमतसंग्रह हुआ, जिसमें सभी यही कयास लगा रहे थे कि ब्रिटेन को ‘अलग हो जाना चाहिए’ ऐसा माननेवालों को शिकस्त मिलेगी, मगर उसमें उलटफेर दिखाई दिया है; वही लोग जीत गए हैं। और इस बात को नहीं भुला जा सकता कि जो कुछ हो हुआ है उसमें प्रक्रिया के तौर पर गैरजनतांत्रिक कुछ भी नहीं है। दक्षिणपंथ के झण्डाबरदारों ने ऐसे चुनावों में लोगों को अपने पक्ष में वोट डालने के लिए प्रेरित किया है, जो पारदर्शी थे, जिनके संचालन पर कोई सवाल नहीं उठे हैं।

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3 thoughts on “पवित्र किताब की छाया में आकार लेता जनतंत्र”

  1. ‘ Jana tantra’ Jan ko bahar kar diya
    Gana tantra’ ne ‘ gan’ bahar kar diya
    Ku tatra vyavastha mei mil kar
    ‘ Swa’ tantra ko bahar kar diya…

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