Guest post by ANURAG MODI
हमारा विकास का मॉडल और हमारी राजनीति, सविंधान कि मूलभावना के ही विपरीत है. सविधान में जहाँ, समाजवादी गणराज्य की स्थापना, जिसमे हर नागरिक को आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक बराबरी के अधिकार होंगे, की बात है. हमारी राजनीति, यह भूल गई विकास के वैकल्पिक मॉडल के बिना न तो समाजवाद आएगा, और न ही राजनैतिक और सामाजिक और आर्थिक बराबरी स्थापित होगी. बल्कि, हम पिछले ६६ सालों से विकास की मृग-मरीचिका के पीछे भागते रहे, और देश के संसाधन की महालूट का तमाशा अनवरत ज़ारी रहा; जिसके चलते 1% लोगों के हाथों में देश के संसाधन से उपजी कमाई जमा हो गई. और देश की आम-जनता, विकास और राजनीति के हाशिए पर तमाशबीन बनी खडी रही.
यह स्थीति पिछले 10 सालों (2001-11) में और बिगड़ी है : कृषी प्रधान देश होने के बावजूद, 2,70, 940 किसानों ने आत्महत्या कर ली; जितने लोग रोजगार में लगे हो उससे ज्यादा बेरोजगार हो; गैरबराबर बढी हो;शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सड़क, यहाँ-तक की राशन जैसी सामाजिक सुरक्षा के कामों से सरकार गायब हो गई- उसे निजी हाथों में दे दिया हो. Continue reading जनता की महालूट का तमाशा अनवरत जारी है ! : अनुराग मोदी