Guest post by HIMANSHU PANDYA
1-2 फरवरी को अंग्रेज़ी विभाग द्वारा आयोजित संगोष्ठी में प्रो. निवेदिता मेनन के व्याख्यान के बाद जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय सुर्ख़ियों में है. विश्वविद्यालय में घट रहे विवाद को देखकर लग रहा है कि एक साल पहले की सारी कहानी ज्यों की त्यों दोहराई जा रही है. एक साल पहले उदयपुर में सुखाडिया विश्वविद्यालय में हुए व्याख्यान के बाद भी यही सब हुआ था. अफवाहें, तथ्यों का गलत सलत प्रस्तुतीकरण, मनगढ़ंत आरोप और तत्काल सजा. फ़र्क यह है कि इस बार हमले की तीव्रता और फैसले की हड़बड़ी ज्यादा है.
सबसे पहले उन बिन्दुओं पर चर्चा कर लें, जो आरोप की शक्ल में जोर जोर से दोहराए जा रहे हैं.
प्रो. मेनन के व्याख्यान पर मुख्य आरोप यह है कि उन्होंने देश का नक्शा ‘उल्टा’ दिखाकर राष्ट्र का अपमान किया. जिस बात को इतना बड़ा हौव्वा बनाकर पेश किया जा रहा है, वह एक सामान्य सा अकादमिक अभ्यास है, जो दुनिया भर में मान्य है. दुनिया गोल है और नक़्शे में उत्तर-दक्षिण-पूर्व-पश्चिम सिर्फ हमारी संकल्पनाएँ हैं. उत्तर आधुनिक विचारकों द्वारा पूर्व पश्चिम के द्वैत को बरसों पहले खारिज किया जा चुका है. उत्तर औपनिवेशिक इतिहास लेखन की एक सम्पूर्ण धारा है जो यूरोकेंद्रित इतिहास दृष्टि को खारिज करके नई सोच के साथ इतिहास को देखने की कोशिश करती आयी है. (और इस धारा में गैर मार्क्सवादी ही नहीं, दक्षिणपंथी रुझान वाले इतिहासकार भी शामिल हैं) इसी क्रम में नक्शों के यूरोकेंद्रित होने को चिह्नित करते हुए न मालूम कितने प्रयोग हुए हैं. आप एक लेख से इसकी झलक पा सकते हैं. (1) और तो और, आप चाहें तो उल्टा नक्शा अमेज़न पर जाकर खरीद भी सकते हैं. (2) सिर्फ उल्टा ही नहीं, ग्रीनविच रेखा की केन्द्रीय स्थिति (यानी यूरोप की केन्द्रीय स्थिति) को बदलकर या ध्रुवों के परिप्रेक्ष्य से दुनिया को देखकर या और भी अनेक तरीकों से भूगोलवेत्ता नक़्शे को बनाते और प्रदर्शित करते रहे हैं. उदाहरण के लिए यूनाइटेड नेशंस का लोगो जिस पद्धति का अनुसरण करता है वह सरल भाषा में ‘पोलर मैप’ कहा जा सकता है.
यू एन का लोगो
वैसे आपका नक्शा जैसा भी हो, जो चाहे उसे आयताकार फैला दे पर दुनिया गोल ही है और भारत के विश्वविद्यालय, मध्ययुगीन चर्च नहीं हैं.
सबसे मजेदार बात यह है कि जो विवादित चित्र प्रो. मेनन ने अपने व्याख्यान के दौरान दिखाया, वह NCERT की कक्षा 12 की किताब में एक दशक से है, अभी भी है और उसे देश भर के लाखों शिक्षक और विद्यार्थी रोज देखते हैं. और तो और एक साल पहले तक यही किताब हमारे अपने राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल की किताब भी थी और इस तरह हमारे राज्य में भी लाखों शिक्षक-विद्यार्थी इस नक़्शे को देखते आये हैं. अंग्रेज़ी-हिन्दी दोनों पुस्तकों का पेज नं 150 देख लीजिये. अंग्रेज़ी वाला हमारे दोस्त ने उपलब्ध करवा दिया है. Continue reading असहमतियाँ इस दौर में – प्रसंग जोधपुर विश्वविद्यालय : हिमांशु पंड्या