Guest post by KISHORE
बच्चा मुसहर को सन 1986 में भूमि सुधार अधिनियम 1961 के तहत 0.26 डेसिमल (लगभग एक चौथाई एकड़) ज़मीन बिहार सरकार द्वारा दी गयी थी. इस एक्ट के तहत भूमिहीनों को ज़मींदारों से अर्जित अधिशेष भूमि दी जानी थी. बच्चा मुसहर ज़िंदगी भर सरकार द्वारा उनके नाम पर करी गयी ज़मीन पर हल चलाने को तरसते रह गए पर उन्हें अपनी ज़मीन पर कदम रखने का अवसर नहीं मिला. उन्होंने ब्लाक, जिला और राजधानी तक ना जाने कितने दफ्तरों के चक्कर लगाये पर ज़मीन पर उनका मालिकाना हक, उस कागज़ के पुर्जे तक ही सीमित रहा.
सन 2000 में बच्चा मुसहर अपनी ज़मीन के मालिकाना हक़ के अधूरे सपने के साथ इस दुनिया से चले गए. बच्चा मुसहर को गुज़रे 13 साल बीत गए पर उनकी विधवा आज भी उस कागज़ के टुकड़े को संभाले बैठी है पर उनको ज़मीन पर कब्ज़ा नहीं मिल सका. दफ्तरों के चक्कर लगाने का सिलसिला बच्चा मुसहर के बाद उसकी विधवा और बच्चों ने भी जारी रखा पर ज़मीन की बंदोबस्ती के लगभग तीन दशकों के बाद आज भी ज़मीन उनके कब्जे में नहीं है. Continue reading दो कठ्ठा ज़मीन : किशोर