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ग्राहम स्टेंस और उनकी संतानों की याद में…

‘Men never do evil so completely and cheerfully as when they do it from religious conviction.’
Blaise Pascal, French Mathematician and Physicist who lived some 400 years ago and died young (1623 to 1662 AD)

ग्राहम स्टेंस, जो ऑस्ट्रेलिया से भारत पहुंचे ईसाई पादरी थे और ओडिशा के बेहद पिछड़े आदिवासी बहुल इलाकों में गरीबों एवं कुष्ठरोगियों की सेवा में संलग्न थे, उन्हें और उनकी दो संतानों फिलिप और टिमोथी को कथित तौर पर हिंदुत्ववादी जमातों से जुड़े मानवद्रोहियों ने 22 जनवरी 1999 को जिंदा जलाया था.

22 जनवरी की तारीख की बीती तारीख को इस घटना की पच्चीसवीं सालगिरह थी.

राम मंदिर आयोजन की चकाचौंध में किसी ने इस बर्बर हत्या और उसके निहितार्थों को याद करना भी मुनासिब नहीं समझा, जबकि हम पाते हैं कि इस बर्बर हत्याकांड में वह तमाम संकेत मिलते हैं, जिन्हें 21वीं सदी की बहुसंख्यकवादी राजनीति में भरपूर प्रयोग में लाया गया.

क्या राम मंदिर की आड़ में अपनी विफलताएं छिपा रही है मोदी सरकार

यह मानने के पर्याप्त आधार हैं कि राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए चुना गया यह समय एक छोटी रेखा के बगल में बड़ी रेखा खींचने की क़वायद है, ताकि नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की बढ़ती असफलताएं जैसे- कोविड कुप्रबंधन, बदहाल होती अर्थव्यवस्था और गलवान घाटी प्रसंग- इस परदे के पीछे चले जाएं.

Ayodhya: A hoarding of PM Narendra Modi and other leaders put up beside a statue of Lord Hanuman, ahead of the foundation laying ceremony of Ram Temple, in Ayodhya, Thursday, July 30, 2020. (PTI Photo)(PTI30-07-2020 000044B)

अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन से पहले लगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं का एक होर्डिंग. (फोटो: पीटीआई)

बीते दिनों जनाब उद्धव ठाकरे द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के प्रस्तावित भूमि पूजन को लेकर जो सुझाव दिया गया है, वह गौरतलब है.

मालूम हो कि आयोजकों की तरफ से जिन लोगों को इसके लिए न्योता दिया गया है, उसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का नाम भी शामिल है, उसी संदर्भ में उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि ‘ई-भूमि पूजन किया जा सकता है और भूमि पूजन समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये भी अंजाम दिया जा सकता है.’

उनका कहना है कि इस कार्यक्रम में लाखों लोग शामिल होना चाहेंगे और क्या उन्हें वहां पहुंचने से रोका जा सकता है? कोरोना महामारी को लेकर देश-दुनिया भर में जो संघर्ष अभी जारी है और जहां धार्मिक सम्मेलनों पर पाबंदी बनी हुई है, ऐसे में उनकी बात गौरतलब है.

गौर करें कि ऐसा आयोजन जिसका लाइव टेलीकास्ट भी किया जाएगा, कोई चाहे न चाहे देश में जगह जगह जनता के अच्छे-खासे हिस्से को सड़कों पर उतरने के लिए प्रेरित करेगा.

और अगर दक्षिणपंथी जमातें इस बारे में अतिसक्रियता दिखा दें तो फिर जगह जगह भीड़ बेकाबू भी हो सकती है और केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइंस की भी धज्जियां उड़ सकती हैं.

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