Guest post by RAJINDER CHAUDHARY
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दो मुख्य भाग हैं, स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा. हम इन दोनों क्षेत्रों का मूल्यांकन करेंगे. किसी भी नीति की तरह इस शिक्षा नीति में भी कुछ स्वागत योग्य कदम हैं, कुछ कमियाँ हैं, कुछ बातें छूट गई हैं और कुछ खतरनाक पहलू हैं. हम तीनों पक्षों को चिन्हित करने का प्रयास करेंगे. दुर्भाग्य से इस नीति के दो अलग अलग अंग्रेजी प्रारूप सरकारी वेब साइटों पर उपलब्ध हैं. एक 60 पृष्ठों का और एक 66 पृष्ठों का है. दोनों की अंतर्वस्तु में भी महत्वपूर्ण अंतर है पर इन प्रारूपों में तिथि नहीं दी गई, इस लिए यह तय करना संभव नहीं है कि कौन सा नया है और कौन सा पुराना है. इस विमर्श हेतू हमने 66 पन्नों वाले दस्तावेज़ का प्रयोग किया है.
काफी समय से एकविषयक कालेज जैसे बीएड कालेज, इंजीनियरिंग कालेज या बिना विज्ञान संकाय या केवल विज्ञान संकाय के +2 स्कूल तो चल ही रहे थे पर हाल ही में एक विषयक विश्वविद्यालयों का चलन बढ़ा है. जैसे स्वास्थ्य, खेल, संस्कृत, बागवानी विश्विविद्यालय इत्यादि. ऐसे एकविषयक संस्थानों में छात्रों को समग्र विकास का मौका नहीं मिलता. उनका दृष्टिकोण बहुत सीमित हो जाता है. इस लिए बहुविषयक शिक्षा संस्थान विषयों एवं छात्रों दोनों के समग्र विकास के लिये आवश्यक हैं. इस कमी को नयी शिक्षा नीति में रेखांकित किया है और दूर करने का निर्णय लिया गया है. यह स्वागत योग्य कदम है. स्कूल को छात्रों तक सीमित न रख कर एक ‘सामाजिक चेतना केंद्र’ के तौर पर विकसित करना, कम्पार्टमेंट परीक्षा के साथ स्कूली छात्रों को अंक सुधार हेतु मौका देना, सार्वजानिक एवं स्कूल पुस्तकालयों का विस्तार एवं इन के लिए आवश्यक कर्मचारियों की व्यवस्था, मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा देने का संकल्प, छात्रों को अपनी रूचि के अनुसार ज़्यादा विविध विषयों में से चुनाव चुनाव का मौका, जैसे कदम स्वागत योग्य हैं.
Continue reading राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 – पिछले तजुर्बों से बेख़बर एक दस्तावेज़ : राजेन्द्र चौधरी