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Petition to President of India, Visitor of BHU from Alumni of the University

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The President of India

Visitor

Banaras Hindu University

Sub : On recent agonising developments in Banaras Hindu University

Dear Sir

We alumni of Banaras Hindu University would like to convey to you our sense of concern about the recent developments at our alma mater namely Banaras Hindu University. Developments which have brought forward the issue of safety and security of girl students on the campus and administrations callous attitude towards it. Continue reading Petition to President of India, Visitor of BHU from Alumni of the University

Modiversary – Mera Desh Badal Raha Hai! Really

It was late mid-eighties when we use to do streetplays in Varanasi as part of our activities as a left student group – which called itself ‘Gatividhi Vichar Manch’ in Banaras Hindu University. One such plays was titled Desh ko Aage Badhao. The 5-7 minute play was part of a compilation of many other plays brought out possibly by Jana Natya Manch. We must have done hundreds of shows of the other play Raja Ka Baja – which was about the dire state of education and employment.

The theme of this short play Desh ko Aage Badhao was rather crisp. It showed a Netaji/leader in white clothes telling people gathered around him how the ‘nation is progressing’. When the innocent people ask for details, then he starts listing out his personal achivements and the wealth he has acquired through all these years of ‘serving the masses’. The tagline was Arrey Murkhon, dekho desh kaise aage badh raha hai‘ ( You fools, look how the nation is progressing)

The end scence showed people coming together, getting organised and slowly pushing the Netaji. When the terrified Netaji use to ask Arrey Murkhon, yeh kya kar rahe ho. (What are you doing idiots). The awakened people use to answer in unison Netaji, desh ko aage badha rahe hain ( We are pushing the nation forward).

I was reminded of this short play when TV started showing the ad how the nation is changing and how it is progressing with a tagline Mera Desh Badal Raha Hai, Aage Badh Raha Hai. ( How my nation is changing, and advancing) focussing itself on two years of Modi government at the centre. Continue reading Modiversary – Mera Desh Badal Raha Hai! Really

लाइब्रेरी २४ घंटे खोलने की मांग पर बीएचयू छात्रों को मिला निलम्बन और जेल: अमरदीप सिंह

अतिथि पोस्ट: अमरदीप सिंह 

एक ओर जहाँ हमारे प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी डिजिटल इंडिया की बात करते हुए देश के गाँव गाँव मे WI-FI लगाने की बात कर रहे है और साथ ही वाराणसी के  घाटो  का भी WiFi करण हो रहा है वही उनके  संसदीय क्षेत्र  के इतने बड़े सेंट्रल यूनिवर्सिटी  “काशी  हिन्दू  विश्वविद्यालय” के छात्र  इंटरनेट ,लाइब्रेरी और अन्य पढ़ाई के मूलभूत सुविधाओं  से वंचित है  । वर्तमान समय मे उच्च स्तरीय शिक्षा के लिए  इंटरनेट की उपलब्धता को नकारा नहीं जा सकता।

मामला साइबर लाइब्रेरी का है जो पहले 24 घंटे खुलती थी लेकिन नए वाईस चांसलर गिरीश चन्द्र त्रिपाठी के आने के बाद यह मात्र 15 घंटे के लिए खोला  जाने लगा (सुबह 8 से रात्रि 11बजे तक ) । आपको बता दे की BHU के 60 प्रतिशत  से अधिक छात्र विश्वविद्यालय के बाहर  रहते है जहां बिजली की एक बड़ी समस्या रहती है । बाहरी छात्रों के इस समस्या के समाधान के लिए साइबर लाइब्रेरी खोली गई थी जिसमे छात्र वातानुकूलित स्थान पर  इंटरनेट व कंप्यूटर की सुविधा के साथ अपना पठन पाठन का कार्य कर सकते है । परीक्षा के दिनो में इसकी जरुरत और बढ़ जाती है|

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वाईस चांसलर का सम्बधित मामले में  कहना है की जब वे पढ़ा करते थे तो सब  सुविधाएं नहीं थी ,उनके क्लासरूम में AC  नहीं था न ही कंप्यूटर की सुविधा थी, फिर भी वे पढ़े । उन्होंने जोड़ते हुए यह भी कहा की स्नातक के छात्रों को लाइब्रेरी की क्या जरूरत  और आउट ऑफ सिलेबस पढ़ने  की क्या जरुरत है ।यहाँ जानकारी के लिए बता दे की आउट ऑफ सिलेबस न पढ़ने  की सलाह देने वाले कुलपति महोदय इकोनॉमिक्स के अध्यापक रहते हुए “शिव तेरे कितने रूप ” और ” मृत्यु के बाद क्या ?” के लेखक रह चुके है ।छात्र प्रतिनिधिमंडल 500 से अधिक छात्रों द्वारा हस्ताक्षर किये गए पत्र को लेकर कुलपति महोदय से मिले लेकिन कुलपति महोदय के बातचीत का लहजा एक गुरु-शिष्य की बातचीत से कोसों दूर था, साथ ही उन्होंने स्ट्रीट लाइट में पढ़ने की सलाह दी तथा आंदोलन करने पर विश्वविद्यालय से बाहर  फेंकने की धमकी भी दी ।

विश्वविद्यालय द्वारा लाठी ,डंडे  के  दम  पर लाइब्रेरी  से जबरदस्ती निकाले जाने के कारण  छात्र स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ अपना विरोध दर्ज़ करा रहे थे।  छात्र रोज रात को लाइब्रेरी के मैदान अथवा स्ट्रीट लाइट पर पढाई कर रहे थे परन्तु रात को प्रॉक्टोरियल बोर्ड द्वारा छात्रों को बेवजह परेशान किया गया और छात्रों के आईकार्ड छीने गए एवं पीटा गया। यहाँ तक की साइबर लाइब्रेरी 24 घंटे कराने  के लिए  गाँधीवादी तरीके से रात कैंपस में पढाई कर अपने हक़ की आवाज़ को उठा रहे छात्रों में से २ छात्रों शांतनु सिंह गौर (सोशल साइंस द्वितीय वर्ष  छात्र) और विकास सिंह ( पोलिटिकल साइंस शोध छात्र  ) को कारण  बताओ नोटिस जारी  कर दिया ।

इसी क्रम में छात्रों ने  प्रधानमंत्री कार्यालय के स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठ कर प्रतिनात्मक पढ़ाई की साथ ही  दिनांक 16.05.2016 को प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, एमएचआरडी, इत्यादि मंत्रालयों को इस सम्बन्ध में सूचना दी गयी लेकिन प्रशासन के कान पर ज़ू तक नहीं रेंगी । पिछले 17 दिनों से स्ट्रीट लाइट में पढ़ने  को विवश  BHU छात्र  विश्वविद्यालय प्रशासन के उदासीन तथा तानाशाहीपूर्ण रवैये के कारण निराश और हताश  होकर  दिनांक 18.05. 2016 से छात्र अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल में बैठने को मज़बूर हुए ।

विद्यार्थी सत्याग्रह के नाम से शुरू इस आंदोलन के दूसरे दिन चीफ प्रॉक्टर समेत आला अधिकारियो का एक दल अपील समेत मिला जिसमे अनशन जारी  रखने पर अनुशासनात्मक करवाई की धमकी और एक कमेटी गठन की बात थी ।

कमेटी के रिपोर्ट आने  और कौन से प्रोफेसर को कमेटी मेंबर बनाया गया है सम्बंधित कोई भी सुचना छात्रों को नहीं दिया  गया यहाँ तक की कमेटी  में छात्रों को शामिल करना तो दूर उन्होंने छात्रों का सुझाव , सलाह तक नहीं लिया |

BHU प्रशासन ने  क्रूर आमनवीय व्यव्हार प्रदर्शित करते हुए आंदोलन स्थल पर उपलब्ध पानी ,बिजली,और शौचालय की सुविधा बंद कर दी । BHU  प्रशासन आंदोलन को कमज़ोर करने के लिए अनशनरत छात्रों के घर पर फ़ोन कर परिवारजनों को डरा धमकाने का काम भी शुरू कर दिया । छात्रों को निष्काषित करने , करियर बर्बाद करने , जेल भिजवाने , उठा लेने आदि  की  धमकियां दिया जाने लगा ।

“आपका लड़का भूख हड़ताल पर है और मरने वाला है “। “आप हमारे बिरादरी के है इसलिए चेता रहे है नहीं तो अब तक आपका लड़का जेल में होता“  आदि ये प्रॉक्टोरियल बोर्ड के शब्द परिवारजनों के साथ  फ़ोन वार्ता पर थे  |

यहाँ तक की मेरे  परिवार को बुलाया गया और तमाम मानसिक दबाव बना आंदोलन छोड़ने और आगे से किसी आंदोलन में भागी न होने का मुझसे लिखित लेने में वे सफल भी रहे । मुझे मेरे परिवार के सामने जलील किया गया । दाड़ी की तरफ इशारा करते हुए वाईस चांसलर ने कहा की ये लड़कियों के दुप्पटा खींचने और छेड़ने वालो की तरह दिख रहा है । आप का लड़का रात में पोर्न देखता है और इसे आंदोलन करने के लिए पैसे भी मिल रहे है ।  मेरे कहने पर की  आरोप साबित होने पर में खुद निष्कासन लिखने कर देने को तैयार हुँ , वाईस चांसलर ने कुतर्की और बहुत बोलने वाला कह बात दूसरी ओर मोड़ दी । मेरे परिवार ने दबाव में यह कहा की अगर वाईस चांसलर को लगता  है की तुम्हारे हटने से आंदोलन टूट जायेगा तो लिख कर दे दो क्योकिं यह आंदोलन एक छात्र का नहीं है न ही समस्या किसी व्यक्ति विशेष की है ,  इसमें सभी छात्रों की भागीदारी होने चाहिए , सिर्फ एक की नहीं ।

मेरे आन्दोलन छोड़ने की सुचना पर 10 भूख हड़ताली छात्रों की संख्या 22 हो गयी । यहाँ छात्र एकता की अनूठी मिशल दिखी । कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लाइब्रेरी की मांग को मनोरंजन और आराम का हवाला देते हुए प्रतिबंधित साइट देखने की भी बात कही । कमाल  की बात है की जब साइट प्रतिबंधित है तो छात्रों खोल कैसे लेते  है ??? और अगर छात्र खोल भी लेते है तो यह एक प्रशासनिक विफलता है  जिस पर प्रशासन को अपने सुरक्षा कर्मियों पर करवाई करनी चाहिए । मंदिर के बाहर से चप्पल चोरी होने पर चोर को दण्डित किया जाता है न की मंदिर बंद किया जाता है । कमेटी ने रात्रि में  छात्राओं का पढ़ना अव्यवहारिक बताया है । उसी दिन देर रात वाईस चांसलर ने अपने स्पेशल पावर का इस्तेमाल करते हुए 9 छात्रों को निलम्बित कर दिया । इससे ज्यादा दमनात्मक रवैया और क्या हो सकता है की पढ़ाई की मांग और शांति तरीके से खुद को पीड़ा देने वाले अनशनरत छात्रों को आगमी वर्ष समेत वर्तमान परीक्षा, हॉस्टल आदि सभी सुविधाओं से वंचित कर दिया ।

2 दिन बाद अनशन के 10वे दिन रात 12 :30  पर BHU की स्ट्रीट लाइट बंद कर दी गई । BHU  के आसपास के सारे मार्केट बंद करा दिए गए और वाराणसी के16 थानों की पुलिस की मदद से अनशनरत  12 भूखे छात्रों को गिरफ़्तार कर लिया गया वह भी उस समय जब छात्र सो रहे थे । शायद  भारतीय इतिहास में यह पहली बार हुआ होगा की पढाई के लिए लाइब्रेरी की मांग पर छात्रों को 10दिन अनशन करना पड़ा और इतने क्रूर तरीके से गिरफ्तार कर लिया गया हो । गिरफ़्तारी के समय पुलिस की संख्या हज़ारो में थी जैसे किसी आतंकवादी को पकड़ने आये हो । मेने अपने जीवनकाल में पुलिस को इतनी सतर्कता बरतते पहले कभी नहीं देखा ।

पुलिस ने रात भर अलग अलग तरीको से मानसिक दबाव बना कर अनशन तुड़वाने  की भी कोशिश की । अगले दिन दिनाक 26 को दोपहर में छात्रों को 5000रु  के निजी मुचलके पर छोड़ा गया । तबियत ख़राब होने पर छात्रों को BHU अस्पताल में भर्ती कराया गया । आंदोलनरत  छात्रों ने आपसी सहमति से गिरते  स्वास्थ को देखते हुए अनशन 72  घंटे के लिए स्थगित  करने का फैसला किया । छात्रों का कहना है की यह आंदोलन खत्म नहीं हुआ बल्कि यहाँ से शुरू  हुआ है , हम स्वस्थ हो कर फिर आएंगे और देश भर के सभी छात्र नेताओं,प्रोफेसर ,बुद्धजीवियों ,सामाजिक कार्यकर्ताओ से यह अपील करेंगे की वह पढ़ाई के लिए हमारे इस आंदोलन के समर्थन में खड़े हो । आज का छात्र पढ़ना चाहता है , वह किसी भी प्रकार का शोषण तथा दमन बर्दाश्त नहीं करेगा ।

अमरदीप सिंह बी.एच.यू  के छात्र है

Letter against Dismissal of Prof Sandeep Pandey

sandeeppandeyGuest Post : Letter from Ex-Students of Banaras Hindu University against the dismissal of Prof Sandeep Pandey from IIT-BHU for wider endorsement

To

Prof. Girish Chandra Tripathi

Vice Chancellor

Banaras Hindu University

Varanasi – 221005, U.P.

Dear Sir,

We, the ex-students of Banaras Hindu University, and other concerned citizens, are writing to you to express our deep worry about removal of visiting professor Sandeep Pandey allegedly for his “anti-national activities”. He had been teaching a few branches of chemical engineering and a development studies course at the Indian Institute of Technology-BHU for two-and-a half years. Prof. Pandey is also a renowned social activist and a Magsaysay award winner. Continue reading Letter against Dismissal of Prof Sandeep Pandey