अतिथि पोस्ट: अनन्त प्रकाश नारायण
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद जे.एन.यू. में 16 दिन की एक भूख हड़ताल खत्म हुई. सभी तरह की सजाओ पर, जो जे.एन.यू. की उच्च स्तरीय जाँच कमिटी (HLEC) ने हम छात्र- छात्राओ पर लगा रखी थी, उन पर रोक लगा दी गई. इस आदेश को ले करके तमाम तरह की व्याख्याए/निर्वचन (Interpretation) है. इस भूख हड़ताल के दौरान कुछ ऐसी घटनाये घटी जिसे यह कैंपस हमेशा याद रखेगा जैसे एकेडेमिक कौंसिल को छोड़कर वाईस चांसलर द्वारा भाग जाना. एकेडेमिक कौंसिल में हमारी मांगे एकदम स्पष्ट थी. उच्च स्तरीय जाँच कमिटी को ख़ारिज करना, ओ.बी.सी. रिजर्वेशन को दोनों स्तर पर लागू करवाना, हॉस्टल में ओ.बी.सी. रिजर्वेशन और साक्षात्कार/ वाइवा के नंबर को कम करना इत्यादि. जब हम जे.एन.यू. की बात करते है तो हमे बिलकुल स्पष्ट हो जाना है कि जे.एन.यू. प्रशासन देश के किसी भी प्रशासन की ही तरह है और कई बार तो उससे भी बदतर. वह तो यहाँ का स्टूडेंट पॉलिटिक्स है जो कि इस कैंपस को समावेशी /इंक्लूसिव बनाने के लिए लड़ता है.
यह वही जे.एन.यू. प्रशासन है जिसने लगभग दस साल तक (1984-93) इस कैंपस से deprivation/ quartile पॉइंट्स को यह कहते हुए ख़त्म कर दिया था कि इस कैंपस में गाँवो से आने वाले स्टूडेंट्स के कारण यहाँ का अकादमिक स्तर ख़राब हो रहा है और कैंपस रेडिकलाईज़ हो रहा है. यह जे.एन.यू. का स्टूडेंटस मूवमेंट था जो की इसे जीत कर 1994 में वापस लाता है. हमने देखा इसी तर्ज़ पर किस तरह से प्रशासन ने ओ.बी.सी. रिजर्वेशन के मिनिमम ‘कट-ऑफ’/cut-off की गलत व्याख्या करके सैकड़ो पिछड़े वर्ग के छात्र- छात्राओ को 2008-2010 तीन वर्षो तक कैंपस से बाहर रखा. यह जे.एन.यू. स्टूडेंट्स मूवमेंट था जिसने कि एक लम्बे पोलिटिकल और लीगल बैटल के बाद एक सही व्याख्या को इस कैंपस में ही नही पूरे देश में लागू करवाया. मदरसा सर्टिफिकेट की लड़ाई हो या फिर अभी ओ.बी.सी. मिनिमम एलिजिबिलिटी का मामला हो, सारे मामले में प्रशासन हमारे खिलाफ ही खड़ा रहा है. आज जब हम ओ.बी.सी. रिजर्वेशन के उद्देश्य/स्पिरिट को इंश्योर कराने के लिए दोनों स्तर पर रिलैक्सेशन लागू कारवाने की कोशिश कर रहे है तब हम देखते है कि किस तरह से इस प्रशासन ने अपने सारी नैतिकता/ मर्यादा को एक तरफ रखते हुए पिछले वी.सी. के समय हुए स्टैंडिंग कमिटी के फैसले को बदल दिया और हद तो तब हुई जब जे.एन.यू. स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष और महासचिव ने यह दावा किया कि इनविटेसन लेटर पर उनके हस्ताक्षर फर्जी किये गये है.




