Guest post by Sharad Jaiswal, Amir Ajani and others
23 नवम्बर, वर्धा से गये एक जांचदल, जिसमें महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के अध्यापक, छात्र, वर्धा के सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार सम्मिलित थे, ने अकोट (जिला अकोला) का दौरा किया। पिछले 23 अक्टूबर को अकोट ताल्लुका में साम्प्रदायिक हिंसा की घटना हुई थी जिसमें 4 लोग मारे गये थे एवं कई लोग घायल हुए थे। मुस्लिम समुदाय के 22 घरों को आग के हवाले कर दिया गया था और लगभग 25 दुकानों को जलाया गया था। मरने वालों में सभी निम्नमध्यवर्गीय पृष्ठभूमि से थे।
साम्प्रदायिक हिंसा की पृष्ठभूमि :
साम्प्रदायिक हिंसा की पृष्ठभूमि 19 अक्टूबर को तैयार की जाती है। पूरे अकोट ताल्लुके में 65 मंडल देवी के लगाये गये थे। प्रत्येक मंडल का संबंध किसी न किसी जातीय समाज से रहता है। मसलन माली समाज, कुनबी समाज, धोबी समाज आदि। धोबी और भोई समाज के एक मंडल, जिसके कर्ताधर्ता बजरंग दल, शिवसेना, विश्व हिंदू परिषद के लोग थे, के पास से निकलते हुए एक मुस्लिम बच्चे ने गलती से वहाँ पर थूक दिया। उसके साथ उसका हमउम्र दोस्त भी था। उसका थूक देवी की प्रतिमा को छुआ तक नहीं लेकिन पर्दे पर उसके कुछ छींटे जरूर पड़े। उस बच्चे को मंडल के लोगों ने पकड़ लिया और उसकी पिटाई करने के बाद वहीं पर बैठा लिया। इतनी देर में जब कुछ शोर-शराबा हुआ तो लोगों की भीड़ वहाँ पर एकत्र हुई और मामले को समझने के लिए शोएब नाम का व्यक्ति भी वहाँ पर पहुँचा और उसने कुछ हस्तक्षेप भी किया और मंडल के लोगों को समझाने की भी कोशिश की। उसने बच्चे की उम्र का भी हवाला दिया। बच्चे की उम्र 7-8 साल की थी। मंडल के लोगों की तरफ से यह भी कहा गया कि आज ये देवी की प्रतिमा पर थूक रहे हैं कल हमारे मुँह पर थूकेंगे। बहरहाल शोएब ने किसी तरह से मामले को शांत कराया और बच्चे को मंडल के लोगों से मुक्त कराया। इस घटना की चर्चा लगभग आधे घण्टे के बाद आस-पास के इलाके में फैल चुकी थी। एजाज नामक टेलर जिसकी घटना स्थल से कुछ दूर पर ही दुकान थी मंडल के लोगों के पास आया और उसने जानना चाहा कि मामला क्या है और उसके बाद वह भी लौटकर अपनी दुकान पर वापस आ गया। Continue reading अकोट में साम्प्रदायिक हिंसा: एक पूर्व नियोजित साजिश →
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